पुराने समय में सांस लेने में तकलीफ होना और फेफड़ो से सम्बंधित समस्याएं बड़े बुजुर्गो में पायी जाती थी। पर आज के दूषित हो चुके वातावरण में यह समस्या आम हो चुकी है,और इससे हर उम्र का व्यक्ति ग्रसित हो रहा है।
फेफड़ों में होने वाली समस्या से हमें जहाँ सांस लेने में दिक्कत का समान करना पड़ता है,वहीँ खांसी की समस्या भी रहने लगती है।अभी हाल ही में हुए एक अध्ययन में पता चला है की फेफड़ें के रोगियों की शारीरिक गतिविधियों के बढ़ने से अवसाद और चिंता का खतरा कम हो जाता है।फेफड़ें की बीमारी में क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी रोग में हवा का प्रवाह बाधित हो जाने की वजह से होता है,जिससे सांस लेने में समस्या होने लगती है।
अध्ययन में पाया गया की आम लोगो में यह अवसाद और चिंता का आंकड़ा १० प्रतिशत से भी कम है जबकि,सीओपीडी के मरीजो में अवसाद और चिंता की अधिकता ४० प्रतिशत है।शारीरिक गतिविधियों को ज्यादा करने से इन दोनों समस्याओं में ११ से १५ फीसदी का खतरा कम हो जाता है।शोधकर्ताओं ने सीओपीडी के मरीजो को अधिक से अधिक शारीरिक गतिविधियों से झुड़ने का बढ़ावा दिया है,जिससे मरीजो को मानसिक खामियों से बचाया जा सके।अगर मरीज कम शारीरिक गतिविधियों को करते हैं, तो मरीजो में मष्तिष्क,हार्मोन्स, दिल और संक्रमण की बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है।
फेफड़ो की इस बीमारी का बचाव आपके हाथ में ही है। निरंतर नियमित रूप से व्यायाम करे और फेफड़ो की इस बीमारी ( सीओपीडी ) से निजात पाएं।
व्यायाम से पाएं फेफड़ो की बीमारी से निजात
Reviewed by GlamourTreat
on
September 12, 2016
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